ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नामक संस्था ने बताया है कि दुनिया में लगभग 20 ऐसे देश हैं, जहां कोरोना केस बढ़ते ही फिर से ऑक्सीजन की किल्लत हो जाएगी। इन देशों में तथाकथित विश्वगुरु का नाम सबसे पहले लिखा है और फिर ईरान, नेपाल और पाकिस्तान का जिक्र है।
यदि कभी कोई तथाकथित विश्वगुरु का सही और तटस्थ इतिहास लिखेगा तो उसमें कोविड-19 के दौर में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का जिक्र जरूर करेगा। इस मंजर को देश के प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को छोड़कर पूरी दुनिया ने देखा। पर, ऐसा नहीं है कि हमारे देश में ऑक्सीजन की कमी से मौतें पहली बार हो रही हैं। सामान्य अवस्था में, यानी कोरोना के दौर के पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं और यकीन मानिए कोविड-19 के दौर के बाद भी ऑक्सीजन की कमी से मौतें समाचार की सुर्खियाँ बनती रहेंगी। बस अंतर यह होता है कि सरकार और मीडिया अब खुलेआम ऐसी खबरों को दबाती हैं, फिर भी यदि यह उजागर होता है तो एक चहरे को बलि का बकरा घोषित कर दिया जाता है।
अगस्त 2017 का गोरखपुर का वाकया सबको याद होगा, जब एक साथ 60 बच्चों की मौत केवल इसलिए हो गई क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म हो गया था। मीडिया में खबर आते ही मुख्यमंत्री ने अस्पताल का दौरा कर ओक्सीजन की कमी उजागर करने वाले डॉ कफील खान को देख लेने की धमकी दी और फिर बाद में जेल भेज दिया, नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया। यह एक सनकी और मुस्लिमों के दमन करने वाले मुख्यमंत्री का आदेश था।
संयुक्त राष्ट्र के यूनिसेफ ने 12 नवम्बर 2020 को एक प्रेस रिलीज जारी की थी। इसके अनुसार घातक न्युमोनिया से विश्व में हरेक वर्ष 42 लाख बच्चे प्रभावित होते हैं और इनमें से शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण लगभग 8 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इसमें से अधिकतर मृत्यु का कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोताही बरतना रहता है। दुनिया के पांच देशों– भारत, इथियोपिया, नाइजीरिया, केन्या और यूगांडा में ऐसी मौतों का आंकड़ा दुनिया में होने वाली कुल मौतों में से एक-तिहाई से अधिक रहता है। कोरोना के दौर में बच्चों के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या और भी विकट है, क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं का सारा ध्यान कोविड-19 पर ही है। इस प्रेस रिलीज में सुझावों में पहला सुझाव अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुनिश्चित करना ही है।
ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नामक संस्था ने अनेक दूसरी संस्थाओं से विभिन्न देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति, कुल मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन और कोरोना के टीकाकरण की दर का विस्तृत अध्ययन कर बताया है कि दुनिया में लगभग 20 ऐसे देश हैं, जहां कोरोना के मामले बढ़ते ही फिर से ऑक्सीजन की किल्लत हो जाएगी। इन देशों में हमारे देश तथाकथित विश्वगुरु का नाम सबसे पहले लिखा गया है। भारत के अतिरिक्त अन्य प्रमुख देश हैं- अर्जेंटीना, ईरान, नेपाल, फिलीपींस, मलेशिया, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, इक्वेडोर, लाओस, नाइजीरिया, इथियोपिया, मलावी, जिम्बाब्वे और कोस्टा रिका। इस अध्ययन के अनुसार इन देशों में ऑक्सीजन आपूर्ति इस कदर लचर है कि इससे पूरा स्वास्थ्य तंत्र ही डूब जाता है।
पिछले वर्ष जून में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की थी कि आने वाले समय में पूरी दुनिया में ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स की कमी हो सकती है। ऑक्सीजन कन्संट्रेटर्स से ही ऑक्सीजन को सिलिंडर में भरा जाता है, जिसका उपयोग अस्पतालों में किया जा रहा है। इस समय भी अनेक देश इसकी कमी का सामना कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेद्रोस अधनोम घेब्रेयेसस के अनुसार अनेक देशों में ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति की तुलना में अधिक हो गई है।
ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के अनुसार दुनिया में मार्च 2021 के बाद दुनिया के बहुत सारे देशों में कोरोना की नई और पहले से खतनाक लहर आई है और प्रभावित देशों में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में औसतन 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, पर इनमें से अधिकतर देशों में अभी तक 2 प्रतिशत से कम आबादी को ही कोरोना का टीका लगा है। जाहिर है, ऐसे देशों में कोविड-19 की अगली लहर का खतरा बरकरार है।
अधिकतर गरीब और विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की कमी पहले भी थी, पर कोविड-19 के दौर में इसकी अचानक बढ़ी मांग ने स्वास्थ्य सेवाओं को जर्जर कर दिया है। पिछले वर्ष और इस वर्ष जनवरी में ब्राजील और पेरू में ऑक्सीजन की कमी का घातक परिणाम दुनिया देख चुकी है, पर अफसोस यह है की भारत जैसे विकासशील देशों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। भारत में कोविड-19 की नई लहर में ऑक्सीजन की कमी का अंदेशा अनेक संस्थाएं पहले भी जता चुकी थीं और सरकार को पहले से आगाह कर चुकी थीं।
कोविड-19 ऑक्सीजन इमरजेंसी टास्क फोर्स के अध्यक्ष रॉबर्ट मतिरू के अनुसार जिन देशों में स्वास्थ्य सेवाएं पहले ही लचर हालत में हैं, वहां कोरोना की हरेक नई लहर इन सेवाओं को पहले से भी अधिक जर्जर कर देगी, इसका मुख्य कारण ऑक्सीजन की कमी ही होगा। भारत में मई के अंत तक स्वास्थ्य सेवाओं में ऑक्सीजन की सामान्य खपत की तुलना में 155 लाख घनमीटर ऑक्सीजन की अधिक खपत हो रही थी। ऑक्सीजन की यह मात्रा मार्च की तुलना में 14 गुना अधिक थी।