मथुरा के एक कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और 3 अन्य लोगों को शांति भंग के आरोपों से मुक्त कर दिया है। पुलिस 6 महीने की निर्धारित अवधि के अंदर उनके खिलाफ जांच पूरी करने में विफल रही, जिसके बाद कोर्ट ने कार्यवाही रद्द कर दी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ताजा वीडियो में दोष मुक्त होने के बाद कप्पन ने कहा कि “मुझे अभी भी संविधान में भरोसा है लेकिन न्याय मिले,न्याय नही मिल पा रहा फ़र्ज़ी केस लगे है”

हाथरथ में दलित लड़की से सामुहिक बलात्कार कांड देश के सर्वाधिक चर्चित अपराधों में शुमार रहा है क्योंकि इसकी वजह से केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की सर्वाधिक किरकिरी हुई थी। इस मामले को सीधे सरकार से जुड़े लोगों का बताया जा रहा था चाहे वो पीड़ित परिवार को धमकी देना हो या फिर बेशर्म सरकार का पूरे मामले पर पर्दा डालना हो।

इस घटना की रिर्पोटिंग के लिए जाते हुए पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 5 अक्टूबर को हाथरस के रास्ते में गिरफ्तार किया गया था। वह हाथरस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई दलित युवती के घर जा रहे थे। इस युवती की बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

पत्रकार कप्पन को हाथरस की घटना के मद्देनज़र सामाजिक रूप से अशांति पैदा करने के लिए कथित आपराधिक साजिश रचने के आरोप में 5 अक्टूबर को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था। उन पर आरोप लगाया था कि हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के मद्देनज़र सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे। यूपी सरकार ने दावा किया था कि कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं।

बचाव पक्ष के वकील मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि उप संभागीय मजिस्ट्रेट राम दत्त राम ने मंगलवार को आरोपियों अतिकुर्रहमान, आलम, पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और मसूद अहमद को आरोप मुक्त कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वकील ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 116 (6) के तहत कार्यवाही सीमा समाप्त होने की वजह से सब मजिस्ट्रेट ने आरोप रद्द कर दिए.

यूपी पुलिस की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने पूछा, “क्या अब पुलिस को सजा दी जाएगी?”

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