भारत मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन (Megha Rajagopalan) को अमेरिका के टॉप जर्नलिज्म सम्मान ‘पुलित्जर (Pulitzer)’ से नवाजा गया है। मेघा राजगोपालन को यह पुरस्कार उनकी खोजी पत्रकारिता के लिए दिया गया है।
मेघा राजगोपालन ने सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की मदद से चीन के भयावह चेहरे को दुनिया के सामने लाकर रख दिया था उन्होंने अपनी रिपोर्ट में उन उइगर मुस्लिम परिवारों और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के लिए बनाए गए हिरासत केन्द्रो का खुलासा किया था जिसमें इन लोगों की की दशा और हालात का विवरण दिया जो चीन के हिरासत केंद्रों में बंद हैं।
Congratulations to the 105th class of #Pulitzer Prize winners and finalists!
Read the full list of those recognized by the Pulitzer Board, watch the video of the Prize announcement and explore the work:https://t.co/zbpKDjSASO
— The Pulitzer Prizes (@PulitzerPrizes) June 11, 2021
चीन के शिनजियांग प्रांत में हजारों की संख्या में उइगर मुस्लिम परिवारों के बच्चें व उनके माता-पिता को चीन की सरकार ने बड़े-बड़े डिटेंशन कैंपो में कैद करके रखा हुआ है। चीन शुरू से ही इन कैंपो को व्यवसायिक प्रशिक्षण का केंद्र बताते हुए बचाव करता रहा है।
चीन में उइगर मुस्लिमों के नरसंहार की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. पिछले 10 वर्षों में मानवाधिकारों के इतिहास में ये सबसे गंभीर है।
मेघा के अलावा भारतीय मूल के पत्रकार नील बेदी (Neil Bedi) को स्थानीय रिपोर्टिंग कैटेगरी में पुलित्जर सम्मान से नवाजा गया है। उन्होंने टंपा बे टाइम्स (Tampa Bay Times) के लिए एक संपादक के साथ इंवेस्टीगेटिव स्टोरी तैयार की थी जिसमें फ्लोरिडा में कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा बच्चों की तस्करी को लेकर लिखा था। पुलित्जर अवार्ड का यह 105वां साल है जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ जर्नलिज्म में पुलित्जर बोर्ड द्वारा दिया जाता है।
पत्रकारिता के क्षेत्र में पुलित्जर पुरस्कार सबसे पहले 1917 में दिया गया था और इसे अमेरिका में इस क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है।