दिल्ली में कोरोना के तीसरी लहर की आशंका है। देश मे बड़ती कोरोना की महामारी के कारण हर वर्ग परेशान है।
नीट पीजी की काउंसलिंग में देरी होने की वजह से रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन समय के लिए धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं। इसी दौरान दिल्ली में लगभग सभी बड़े अस्पतालों में डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। राजधानी के जीटीबी, लेडी हार्डिंग, सफदरजंग, आरएमएल, एलएनजेपी जैसे प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल मे शामिल है। इन डॉक्टरों ने ओपीडी, इमरजेंसी और वार्ड में ड्यूटी देने से मना कर दिया है।
डॉक्टर्स की मांग है कि 42 हजार नए चिकित्सकों की काउंसलिंग की तारीख जल्द से जल्द घोषित की जाए। वर्क फोर्स को बढ़ाया जाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेजिंडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की प्रतिनिधि शफात अहमद का कहना है, ”हमें 60-60 घंटे तक काम करना पड़ता है वो भी बिना सोए हुए। हम पर बहुत प्रेशर डाला जा रहा है और क्यों डाला जा रहा है, यह हमें समझ नहीं आ रहा है। हमें काउंसलिंग की डेट चाहिए और जो नए डॉक्टर्स का बैच है वह जल्द से जल्द हमारी वर्क फोर्स ज्वाइन करे।”
डॉक्टर्स की हड़ताल के बाद से दिल्ली के अस्पतालों की हालत बद से बदतर हो गई है। मरीज अस्पतालो की चौखट पर मर रहे है।
कोर्ट की तारीखो से भी नहीं निकल रहा कोई समाधान। नीट पीजी काउंसलिंग का पूरा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट की ओर से इस मामले की अगली सुनवाई अगले महीने छह जनवरी को होनी है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज रेसिडेंट डॉक्टर की सदस्य तृप्ति अनेजा का कहना है, “कोर्ट से हमें तारीख पर तारीख मिलती जा रही है लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है।दिल्ली में ओमिक्रोन दस्तक दे चुका है। दूसरी वेव में हमनें देखा था कि कोरोना ने कैसे कहर बरपाया था।इसलिए हम नहीं चाहते कि अगर तीसरी लहर आती है तो किसी भी वजह से दिल्ली के लोगों को खामियाजा भुगतना पड़े। हमारी दिल्ली सरकार से भी गुजारिश है कि जल्द से जल्द जो डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जाए नए डॉक्टरों को जल्द से जल्द भर्ती किया जाए हम कोई बहुत बड़ी और नाजायज डिमांड नहीं मांग रहे हैं।”
दिल्ली में स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार हेमंत राजौरा लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
हमेंत का कहना है दिल्ली में दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में लगातार ऐसे गरीब मरीज पहुंच रहे हैं जिन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है, लेकिन ज्यादातर को चिकित्सकों की हड़ताल के कारण उपचार नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अस्पतालों के बाहर का दृश्य हृदय विदारक हो चुका है। अभी आज दिन में ही उत्तर प्रदेश के संभल से आयी कैंसर पीड़ित एक महिला को दिल्ली के एलएनजेपी और जीपी पंत अस्पताल ने भर्ती लेने से मना कर दिया है। कैंसर पीड़ित इस महिला के पेट में संक्रमण हो चुका है और टीएलसी काउंट 21 हजार तक पहुंच गया है। अब परिजन परेशान हैं कि मरीज को कहां लेकर जाएं?
स्वास्थ्य सेवाएं बंद होने से आम आदमी को परेशानियां तो जरूर हो रही हैं लेकिन एलएनजेपी अस्पताल के बाहर कुछ मरीज ऐसे भी हैं, जो रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को जायज ठहरा रहे हैं। उनका पूरा साथ दे रहे है। एलएनजेपी में अपना इलाज करवाने आई 63 वर्षीय शम्मी खानम का कहना है, “डॉक्टरों ने हमारा बहुत अच्छे से ख्याल रखा। इसलिए डॉक्टरों की मांग जो है वह जायज है। इनकी मांग को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। ये टाइम पर खाना तक नहीं खाते हैं।डॉक्टर रात-दिन एक करके हमारा इलाज करते हैं तो इनकी मांगे क्यों नहीं पूरी की जा रही हैं।सरकार को चाहिए कि उनकी ज्यादा से ज्यादा मदद करें।”
अस्पतालों के बाहर से लगातार रिपोर्ट कर रहे हेमंत राजौरा का कहना है कि, ”डियर नोएडा मीडिया, मेरी बात याद रखना। अगर रेजिंडेंट डॉक्टर्स और मरीजों के मुद्दे को हाइलाइट नहीं किया तो पूरे देश का हेल्थ सिस्टम ढह जाएगा। आज गरीब आदमी मर रहा है, कल को आपको भी इलाज नहीं मिलेगा।”