परीक्षाओं में हो रही धांधली के खिलाफ प्रदर्शन कर युवा आए दिन लाठी खा रहे हैं। बिहार की राजधानी पटना में शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर सैकड़ों युवा प्रदर्शन कर रहे थे। लाठी खाते युवाओं की ताजा तस्वीर सामने आयी है देश के सबसे पिछड़े राज्य बिहार से।
दरअसल, आरआरबी एनटीपीसी (RRB NTPC) परीक्षा के परिणामों से आक्रोशित अभ्यार्थी पटना के राजेंद्र ट्रमिनल पर प्रदर्शन कर रहे थे। तभी सरकारी आदेश से लैस पुलिसिया लाठी अभ्यार्थियों पर बरसने लगीं। जो जहां भाग सकता था, भागा। पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर बुरी तरह पीटने के अपने हुनर का प्रदर्शन किया।
प्रशासन की दलील है कि प्रदर्शनकारियों ने रेलगाड़ियों के अवागमन को बाधित किया था। ऐसे में उन्हें पटरी से हटाने और रेलगाड़ियों के निर्बाध संचालन के लिए ‘बल प्रयोग’ करना पड़ा।
NTPC की परीक्षा में धांधली को लेकर पटना राजेन्द्र नगर स्टेशन पर छात्रों का हंगामा,लेकिन जब एक छात्र पकड़ा गया तो …… #patna #Bihar pic.twitter.com/jkE3b3z2sH
— Mukesh singh (@Mukesh_Journo) January 24, 2022
पटना के राजेंद्रनगर स्टेशन पर पाँच घंटे तक जब आरआरबी -एनटीपीसी के परीक्षा में असफल छात्रों ने ट्रेन रोके रखा तब उन्हें हटाने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले भी दागे गये @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/6E1dvfGn2k
— manish (@manishndtv) January 24, 2022
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सीएम को गोली चलाने की चुनौती दे दी है। तेजस्वी ने कहा कि हम इनकी गुंडागर्दी नहीं चलने देंगे। नीतीश कुमार समाजवाद के नाम पर कलंक हैं।
तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर लिखा, ”नीतीश कुमार समाजवाद के नाम पर कलंक हैं, धब्बा हैं।लोहिया जयंती के दिन सड़क पर हमारे साथ नौकरी मांग रहे बेरोजगारों पर लाठीचार्ज और पत्थरबाज़ी करवाते हैं और उसी दिन सदन में काला पुलिसिया क़ानून लेकर आते हैं। हम इनकी गुंडागर्दी नहीं चलने देंगे. चलाओ गोली मर्द हो तो।”
नीतीश कुमार समाजवाद के नाम पर कलंक है। धब्बा है। लोहिया जयंती के दिन सड़क पर हमारे साथ नौकरी माँग रहे बेरोजगारों पर लाठीचार्ज और पत्थरबाज़ी करवाते है। और उसी दिन सदन में काला पुलिसया क़ानून लेकर आते है।
हम इनकी गुंडागर्दी नहीं चलने देंगे। चलाओ गोली मर्द हो तो..
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 23, 2021
अभ्यार्थियों को ऐसी अजीब स्थिति में फंसा दिया गया है कि इतनी पिटाई के बाद भी वो अपने दर्द से ज्यादा अपने मुद्दों की बात कर रहे हैं। अपने रोजगार की मांग कर रहे हैं। शायद बेरोजगारी का दर्द पुलिसिया पिटाई के दर्द से अधिक पीड़ादायक है।