मोदी सरकार के निजीकरण के फैसले के विरोध में 9 लाख बैंक कर्मचारी इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। बैंक कर्मचारी हाथों में बैनर, पोस्टर और प्लेकार्ड लिए बैंक कर्मचारी बैंक बचाओ, देश बचाओ, हम बैंक नहीं बिकने देंगे, निजीकरण के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो रहा है जिसमें लिखा है- “जो ग्राहक बैंक में ये बोलकर जाते हैं कि बैंक हमारा है, हमारे पैसे से चलता है, उनके लिए ख़ास सूचना। संसद में सरकार आपका बैंक बेचने वाली है। फिर मत कहना कि बताया नहीं था। ”
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) बैंकों के निजीकरण के प्रस्तावित फैसले का विरोध कर रहा है। इस यूनियन में बैंकों 9 और यूनियन आते हैं। हड़ताल के चलते एसबीआई, पीएनबी जैसे बैंकों के ग्राहकों को बैंकिंग कामकाज में समस्याएं आ रही हैं।
पवन कुमार ने गांव कनेक्शन से कहा, “पहले हम दो दिन की हड़ताल कर रहे हैं। इससे कुछ नहीं होगा तो अनिश्चितकालीन पड़ताल पर जाएंगे। सड़क पर उतरेंगे। उसके बाद भी कुछ नहीं होगा तो हम बंगाल की तरह हम लोग घर-घर जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि ये बैंक बेचने वाली सरकार है। बैंक बेचने वाली सरकार आपको चाहिए तो इन्हें वोट दीजिए वर्ना न दीजिए। ये सरकार सिर्फ वोट से डरती है।”
पीलीभीत से संसद वरुण गाँधी ने बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर ट्वीट कर कहा, “बैंकों का निजीकरण करते समय ये भी देखना चाहिए कि सरकारी बैंक लाखों लोगों को नौकरी देते हैं, सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स की मदद करते हैं, ग्रामीण बैंकिंग उपलब्ध करवाते हैं और SME को लोन देने का काम करते हैं। ये सभी काम शायद प्राइवेट बैंक न करें।”
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन कुमार कहते हैं, “हमारे साथ किसान मोर्चा, आरबीआई, नाबार्ड, केंद्र सरकार के कर्मचारी, यूपी कर्मचारियों के संगठन अटेवा, सभी चार केंद्रीय ट्रेड यूनियन हमारे साथ हैं। हम इस लड़ाई को सफल बनाकर रहेंगे।”
पीलीभीत से संसद वरुण गाँधी ने बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर कहा, “बैंकों का निजीकरण करते समय ये भी देखना चाहिए कि सरकारी बैंक लाखों लोगों को नौकरी देते हैं, सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स की मदद करते हैं, ग्रामीण बैंकिंग उपलब्ध करवाते हैं और SME को लोन देने का काम करते हैं। ये सभी काम शायद प्राइवेट बैंक न करें।”
बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।