भारत में कोरोना की दूसरी लहर भी कफी समय पहले आ गई है। इस दौरान हजारों लोगों की मौत हुई।देश के तमाम हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी की खबरें आई थी। ऑक्सीजन के लिए जगह जगह लाइनें लग रही थी। कुछ अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबरें भी सामने आई थी।
इसी दौरान विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा, ‘प्रदेश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी भी व्यक्ति की मौत की सूचना नहीं है।’
जय प्रताप सिंह का जवाब ना सिर्फ तथ्यात्मक रूप से झूठा है, बल्कि हजारों लोगों की मौत का मजाक बनाने वाला भी है। सदन में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री खुलकर झुठ बोल रहे हैं ये तब झूठ बोल जब कुछ दिनों बाद उसी जनता से वोट मांगने जाएंगे जिन्होंने खुद या अपने परिजनों को कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन से तड़पते देखा है।
लखनऊ-मेरठ और आगरा जैसे तमाम शहर हैं जहां अस्पतालों में सैकड़ों लोग बिना ऑक्सीजन तड़प-तड़पकर कर गए।अब उत्तर प्रदेश सरकार ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत स्वीकार नहीं कर रही है। जबकि पूरे प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ था।
उत्तर- प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र डॉक्टर के माध्यम से लिखकर आता है। प्रदेश में अभी तक कोविड-19 के कारण जिन 22915 मरीजों की मृत्यु हुई है उनमें से किसी के भी मृत्यु प्रमाण पत्र में कहीं भी ऑक्सीजन की कमी से मौत का जिक्र नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विभिन्न बीमारियों और असाध्य रोगों की वजह से मृत्यु हुई है। ऑक्सीजन की कमी पहले थी। सभी लोग जानते हैं कि उस दौरान दूसरे प्रदेशों से लाकर ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई थी।
क्या स्वास्थ्य मंत्री इतनी जल्दी अपने ही विधायक लोकेंद्र सिंह की उस भावुक चिट्ठी को भूल गए, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘हम चाह कर भी अपने लोगों को नहीं बचा पा रहे हैं।’
इलाहाबाद कोर्ट के दो जजों की बेंच ने लखनऊ-मेरठ के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने से हुई मौतों को नरसंहार करार दिया था,क्या यह भी झूठ था।
सदन में स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमीं से यूपी में मौतें नहीं हुईं कहने पर कवि डॉ. कुमार विश्वास ने ट्वीट कर कहा कि“हुज़ूर, आप कहते हैं तो फिर ठीक ही कहते होंगे।”
अगर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह 7 माह पहले कही अपनी ही बात को भी भूल गए हैं, तो उन्हें राज्य के स्वास्थ्य से पहले अपने मानसिक स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *