योगी को मुख्यमंत्री के तौर पर और प्रज्ञा ठाकुर को राजनीति में लाने का मतलब ही हिंदुत्व के नाम पर सत्ता प्राप्त कर हिन्दुओं का मानसिक शोषण करना था । क्या बीजेपी और RSS को हिंदुत्व में ही अपार संभावनाएं दिखती है? आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर हिन्दुओं का हिंदुत्व के नाम पर खूब शोषण किया जा रहा है, जिससे हिन्दू अनजान बने हुए हैं। हिन्दूओं की छवि को इस तरह से तैयार किया जा रहा है मानो हिन्दू राष्ट्र की चाह रखने वाले हिन्दुओं को देश के विकास से कोई मतलब नहीं उन्हें मुस्लिमों की लिंचिंग से ही सुकून मिल जाता है। इन दिनों देश में भले ही हिन्दू समाज बर्बाद हो रहा हो और हर तरह की सुविधा से वंचित हों पर CAA और NRC पर दूसरे देश के हिन्दू भारत में आने चाहियें उसको ऐसी मांग करते हुए दिखाया जा रहा है। हिन्दू राष्ट्र के लिए वर्ग विशेष की बेटियों के बलात्कारियों के समर्थन में तिरंगा यात्रा निकाल कर भले ही तिरंगे का अपमान हो हिन्दू राष्ट्र के नाम पर सब सहन किया जा रह है।


क्या भाजपा सामाजिक न्याय व् हिंदुत्व पर ही दांव चल सकती है जिन हिन्दुओं की लाश गंगा से निकाल कर कुत्ते और चील कौए खा रहे थे उन्होंने और उनके घरवालों ने भी शायद हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी को वोट दिया होगा? जिनकी लाशों के ऊपर से रामनामी चादर योगी ने उतरवाई थी उन्होंने भी हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी को वोट दिया होगा? जिनके घरवाले कोरोना काल में बिना ऑक्सीजन तड़प तड़प कर मरे हैं उन्होंने भी हिंदुत्व के नाम पर वोट किया होगा? जो प्रवासी मजदूर पिछले लोकडाउन में पैदल अपने घरों को निकल पड़े थे उन्होंने और उनके उन साथियों ने भी जो पैदल अपने घर तक नहीं पहुँच पाए थे जिहोने रस्ते में ही दम तोड़ दिया था, उन्होंने भी जिनके बच्चों ने भूख प्यास की वजह से अपनी माओं की गोद में दम तोड़ दिया था उन सब ने हिंदुत्व के नाम पर ही वोट दिया था।
ये लोग सब भुला कर एक बार फिर से बीजेपी को वोट करेंगे क्योंकि भारत को जो बनाना है हिन्दू राष्ट्र के लिए क्या बीजेपी ने उस समाज को तैयार कर लिया है?

हिन्दुस्तान का एक बड़े वर्ग ने हिन्दू धार्मिक उन्माद की एक बाढ़ ला रखी है (भले ही यह लोग किराये के लोग हो जो पैसे लेकर हिंदुत्व के नाम का ढोल बजाते ho) जैसे “गर्व से कहो कि हम हिन्दू हैं” और “भारत एक हिन्दू राष्ट्र है” या फिर भारत शीघ्र ही एक हिन्दू राष्ट्र बनने वाला है, या फिर “हम हिन्दू जगाने आये हैं” हिन्दुओं को इन बातों से रिझाया जाता है और इसके परिणाम भी संतोष जनक मिल रहे हैं पर ये ऐसा सपना है जो कभी पूरा नहीं होने वाला जब तक भारत के लोकत्रंत को पूरी तरह से नष्ट न किया जाय।
हिन्दुओं को चाहिए सबसे पहले वो “हिन्दू राष्ट्र जैसे विवादित विषय पर व्यर्थ का समय बर्बाद करने की बजाय हिन्दुओं को संगठित करने में लगाएं और हिन्दू धर्म में निहित जात-पात के भेदभाव वाली सबसे बड़ी बीमारी को जड़ से ख़त्म करें। हिन्दू धर्म ने अपनी सामाजिक जातिवाद जैसी कुरुति के चलते देश के महान व्यक्ति और संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर जो हिन्दू धर्म का कायाकल्प कर उसे पूरे विश्व में फैलाने की ताकत रखते थे उन्हें कभी मान सम्मान नहीं दिया। दुनिया में हिन्दुओं के सिमटने का एक एक बहुत बड़ा कारण ही जात पात का होना है जिन्होंने वीर शिवजी का इतिहास पढ़ा है वो जानते होंगे की महाराजा वीर शिवजी ने क्यों अष्टप्रधान राज्य की स्थापना की थी? हिन्दू इतिहास के जिस वीर शिवाजी महाराज के “हिन्दू राष्ट्र” की बात करते हैं, यदि वो शिवाजी महाराज की जीवनी पढ़ें तो उन्हें जात-पात का भेदभाव पढ़कर अपने हिन्दू होने पर भी शर्म आएगी। ये एक ऐतिहासिक सत्य है कि कई वर्षों के अनवरत कठिन संघर्ष के बाद पश्चिमी महारष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के बाद शिवाजी महाराज ने जब अपना राज्याभिषेक करना चाहा तो ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया।

शिवाजी महाराज क्षत्रिय नहीं थे, अतः ब्राहमणों ने कहा कि पहले क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेंगे। शिवाजी महाराज को मजबूर होकर एक ब्राहमण को एक लाख रुपये देने का प्रलोभन देना पड़ा और वो ब्राह्मण लालच में आ गया और एक लाख रूपये लेकर प्रलोभी ब्राह्मण ने वीर शिवाजी का राज्याभिषेक किया। यह भी एक ऐतिहासिक सत्य है कि राज्याभिषेक के बाद भी पूना के ब्राहमणों ने शिवाजी को राजा मानने से इंकार कर दिया था तब विवश होकर शिवाजी को अष्टप्रधान मंडल की स्थापना करनी पड़ी थी।

अब आते हैं RSS पर जैसा की सब जानते है की देश को आज़ाद करने में RSS की कोई भूमिका नहीं रहे ये तो सब जानते ही हैं पर हिन्दू राष्ट्र इनकी प्राथमिकता है। RSS की शाखाओं में जाती नहीं सिर्फ हिन्दू धर्म देखा जाता है तो अफ़सोस इस बात का है की RSS ने आजतक जातपात ख़त्म करने के लिए कोई आंदोलन क्यों नहीं चलाया? वो इस काम को बेहतर ढंग से कर सकती है, पर वो ऐसा करना ही नहीं चाहती है। इसके पीछे की मानसिकता सिर्फ जातपात की है हिन्दू राष्ट्र की चाह रखने वाले हिन्दू धर्म की जातपात ऊँच नीच जैसी कुरुति को कभी खत्म नहीं करेंगे अगर वो ऐसा करते हैं तो ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य का वर्चस्व अन्य जाति के ऊपर हट जायेगा। जबकि राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य का वर्चस्व हमेशा से माना जाता रहा है. ये तीनो ही हिन्दू राष्ट्र तो चाहते हैं पर हिन्दू राष्ट्र में वर्चस्व ये अपना ही चाहते हैं अन्य जाति का वर्चस्व इन्हें कभी स्वीकार्य नहीं होगा?

किसी कारण वश यदि हिन्दुस्तान हिन्दू राष्ट्र घोषित हो भी जाता है तो संघर्ष और बढ़ेंगे। फिर सबसे बड़ा संघर्ष वर्चस्व का संघर्ष शुरू होगा अत: देश के सभी धर्मों व धर्मावलम्बियों का आदर सम्मान करें ताकि देश में अमन और शांति रहे। धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को अपनाएं पड़ोसी देशों को अपना शत्रु नहीं मित्र समझें देश में विदेशी निवेश आने के लिए उचित माहौल बनाने और राष्ट्र का विकास करने के लिए ये अति आवश्यक है।

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